BEP क्या है? -BEP परिभाषाएँ

BEP क्या है? -BEP परिभाषाएँ
  - दोस्तों आज हम आपको BEP के बारे में बताएंगे ज्यादातर लोगों को BEP के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता उनको इसका पूरा नाम तक नहीं पता इसीलिए, आज हम आपको BEP के बारे में विस्तार से बताएंगे।

BEP का अर्थ?

BEP को हिंदी में संवि छेद बिंदु अथवा लाभ हानि की स्थिति भी कहा जाता है।BEP को जीरो प्रॉफिट पॉइंट भी कहा जाता है। क्योंकि BEP ऐसा बिंदु है। जहां पर व्यवसाय और व्यापार के लाभ की मात्रा शून्य होती है। ब्रेक इवन प्वाइंट एक ऐसा बिंदु होता है। जहां पर व्यवसाय में ना तो कोई लाभ होता है और ना ही हमें कोई हानि होती है।

BEP एक ऐसा आपूर्ति पक्ष विश्लेषण है। जो हमें विभिन्न कीमतों पर उत्पादन के लिए होने वाली बिक्री के बारे में बताता है। यह मानता है, कि उत्पादित वस्तुओं की मात्रा बेची गई वस्तुओं की मात्रा के बराबर है। BEP मुनाफे का विश्लेषण करने का एक बहुत ही अच्छा तरीका है।

Read More - RD Account में ₹5000 महीने निवेश करके 6 साल बाद 4.26 लाख रुपए कैसे कमाएँ?

BEP कैसे बढाए?

ज्यादातर लोगों को यह नहीं पता होता कि वह अपनी BEP , कैसे बढ़ाए लेकिन आप चिंता ना करें। आज हम आपको बताएंगे कि आप अपनी BEP को कैसे बढ़ा सकते हैं।

बिक्री बढ़ना - BEP को बढ़ाने के लिए बिक्री को अधिक बढ़ाना बहुत ज्यादा मददगार साबित हो सकता है। क्योंकि अगर आप मान लीजिए अपनी कंपनी की बिक्री को बढ़ाते हैं, और आपकी कंपनी की बिक्री बढ़ती है, तो इससे जाहिर है कि आपको इससे कुछ नए प्रोजेक्ट आपको मिलेंगे और आपको ज्यादा प्रोजेक्ट बनाने पड़ेंगे ऐसे में अधिक खर्चा को कवर करने के लिए भी बीपी को बढ़ाया जाता है।

उत्पादन लागत में वृद्धि होना - कई बार बिक्री की मांगे सामान्य रहने पर व्यवसाय को चलाना बहुत ही कठिन होता है, क्योंकि इसके कारण कच्चे माल की कीमतें बढ़ जाती है, ऐसी स्थिति में हमारे अधिक खर्चे होते हैं अधिक खर्चों के कारण भी बीपी बढ़ सकता है, इसके कारण उत्पादन लागत के अलावा अन्य लागत हो जैसे दुकान या गोदाम का किराया या कर्मचारियों का वेतन बढ़ाना आदि कारणों से भी BEP बढ़ जाता है। इन चीजों का आपको खास ध्यान रखना है।

BEP कम कैसे करे? 

BEP को कम करने के बहुत तरीके होते हैं। जिसके द्वारा आप इसको कम कर सकते हैं। हम आपको इसके बारे में पूरी जानकारी प्रदान करेंगे।

उत्पाद की कीमते बढ़ाना -  उत्पादन की कीमत बढ़ाकर BEP को काफी हद तक हम कम कर सकते हैं। हालांकि इस तरह के कदम उठाने से हम अपने कुछ ग्राहकों को खो भी सकते हैं। इसलिए यह कदम आपको सोच समझकर उठाना चाहिए।

एकाउंटिंग  BEP Vs फाइनेंसियल BEP 

एकाउंटिंग बीपी और फाइनेंसियल BEP में काफी अंतर होता है। जिसके बारे में आपको पता होना चाहिए।

एकाउंटिंग  BEP - किसी भी मुनाफे का विश्लेषण करने का यह बहुत ही अच्छा तरीका होता है। यह एक आसान तरीका होता है। जिसके द्वारा किसी भी उत्पादन पर खर्चों की गणना कर बहुत ही आसानी से गणना की जा सके कि खर्चे को कवर करने के लिए कितनी चीजों को बेचना चाहिए

फाइनेंसियल BEP - यह एकाउंटिंग बीपी की तुलना में काफी मुश्किल होती है। क्योंकि इसके अंदर अलग-अलग मौकों का उपयोग होता है। यह कंपनी की कमाई और इसके साथ ही विशेष रूप से प्रति शेयर अपनी कमाई शून्य के बराबर होने के लिए कितनी कमाई की जरूरत है।

हम उम्मीद करते है हमारी जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। अगर इस आर्टिकल से आपकी मदद हुई हों तो इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करे। (धन्यवाद)


Post a Comment

Previous Post Next Post